Dipawali Puja
दीपावली पूजा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला सबसे प्रमुख त्यौहार है, यह त्यौहार कार्तिक मास के अमावस्या को मनाया जाता है दीपावली माता लक्ष्मी और श्री गणेश भगवान की प्रमुख पूजा होती है, दीपावली को दिवाली के नाम से भी जाना जाता है दीपावली का त्यौहार भगवान श्री राम और माता सीता के वनवास से जुड़ा हुआ है ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने माता सीता को रावण के कैद से छुड़ाया था और रावण का वध करके वापस जब वह अयोध्या लौटे थे उसी दिन अयोध्यावासी भगवान राम और सीता माता के आने की खुशी में पुरे अयोध्या में दीपक जलाए थे तभी से दीपावली का त्यौहार मनाया जाने लगा है वह दिन भी अमावस्या की रात थी
दीपावली पूजा विधि
दीपावली पूजा में सबसे पहले एक चौकी लेकर उसे पर लाल कपड़ा बिछाकर माता लक्ष्मी और श्री गणेश भगवान के मूर्ति को स्थापित मूर्ति को स्थापित करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि गणेश जी के दाहिने साइड में माता लक्ष्मी को स्थापित करें
लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति
दोनों मूर्तियों का चेहरा पूर्व दिशा की ओर रखें, अब दोनों मूर्तियों के आगे रूपए पैसे सोने चांदी गहना अपना इच्छा अनुसार रखें हो सके तो चांदी के सिक्के अवश्य रखें चांदी के सिक्के कुबेर जी का स्वरूप होता है लक्ष्मी जी के मूर्ति के दाहिने और अष्टदल बनाएं यानी कि 8 दिशाएं उंगली से बनाएं उसपर भरा हुआ कलश बीच में रखें कलश के अंदर थोड़ा दुर्वा, चंदन, पंचरत्न, सुपारी, आम के पत्ते उसके ऊपर मौली बंधा हुआ नारियल रखें . इसके बाद चौकी के सामने अन्य पूजा की सामग्री थाली में भरा हुआ फल प्रसाद रखें. इसके बाद दो घी का दीपक जलाएं और 11 दीपक सरसों के तेल का जलाएं और शुभ मुहूर्त को देखते हुए माता लक्ष्मी और श्री गणेश भगवान की पूजन आरती करें सभी परिवार एक साथ आसान लगा करके मूर्ति के सामने बैठे और माता लक्ष्मी की आराधना करें उनकी पूजा पाठ करें फिर सभी को प्रसाद बांटे एक दूसरे को मिठाई खिलाए इसी तरह से दीपावली का पूजन को संपन्न करें .
दीपावली पूजा