दुर्गा पूजा हिंदुओं का मुख्य त्यौहार है और यह खासकर पश्चिम बंगाल में मनाए जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है इस त्यौहार में मां दुर्गा का मूर्ति को स्थापित किया जाता है और बड़े धूमधाम से उनकी पूजा की जाती है यह पूजा 5 से 6 दिन के बीच मनाया जाता है दुर्गा पूजा में सभी लोग मां दुर्गा की पूजा करते हैं इस त्यौहार पर लोग बहुत आनंद लेते हैं सभी जगह नए नए पंडाल और उनकी कलाकृति हम सभी का मन मोह लेता है आप चाहे कहीं से हो आप एक बार बंगाल में आकर देखिए आपको एक से एक नजारा देखने को मिलेगा यहां आपको कोई ऐसा गली नही दिखाई देगा जहां दुर्गा पूजा का पंडाल नही लगा हो मैं सच कहता हुं बंगाल का दुर्गा पुजा अदभुत है इसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता दुर्गा पुजा पंडाल बनाने में बंगाल की सरकार भी बहुत मदद करती है सभी पंडालों में वो पैसा भेजती है दुर्गा पूजा के समय इतना भीड़ होती है की बंगाल की आधी पुलिस भीड़ को संभालने में लगी रहती है ताकि कोई घटना न हो यहां की हर गली मोहल्ला लाइटिंग से सजाया जाता है
दुर्गा पूजा का महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा की अपने बच्चों के साथ मायके जाने का प्रतीक है, दुर्गा पूजा से पहले महालिया होता है जिसमें दुर्गा मां अपने घर की यात्रा की शुरुआत करती है
छठे दिन से मां का पूजा बड़े धूमधाम से होती है और भक्त जन मां दुर्गा का स्वागत ढोल नगाड़े बजाकर खुशी से झूम झूम कर करते है
पण्डित जी पुजा मंत्र जप करते हैं और मां का स्वागत करते है इस पूजा में मां दुर्गा सहित गणेश जी मां लक्ष्मी और कार्तिके जी सामिल होते है ऐसा कहा जाता है की ये सभी देवता मां के बच्चे है।
महा सप्तमी
सातवे दिन से महासप्तमी की शुरूआत होती है इस दिन सुबह से पहले एक केला पौधा को पानी से स्नान करा के उसे लाल किनारी वाली साडी में लपेटा जाता है और उसे गणेश जी के दाहिने साइट रखा जाता है ऐसा कहा जाता की केला गणेश जी की पत्नी है इसलिए इन्हे रखा जाता है इसके बाद आता है महाअष्टमी यह दिन पुजा का आठवां दिन होता है और इसी दिन दुर्गा मां ने महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था इस दिन मां का विशेष पुजा आरती होती है सभी लोग इस्त्री पुरुष मिलकर प्रसाद चढ़ाते हैं पुजा परार्थना करते है मां को भोग लगाते है कई जगह आज के दिन पकवान बनाता है और मां को भोग लगाकर प्रसाद बाटा जाता है ।
महानवमी
अष्टमी पूजा समाप्त होने के बाद महा नवमी सुरु हो जाती है । समापन अनुष्ठान के रूप में महाआरती होती है बड़े धूमधाम से मां दुर्गा की आरती करते है ।
दुर्गा पूजा महादश्मी
दसवें दिन मां का अंतिम दिन होता है इस दिन मां दुर्गा सहित सभी देवताओं को गंगा में विसर्जित किया जाता है। विसर्जन से पहले विवाहित महिलाएं सिंदूर खेला खेलती है और एक दूसरे के गाल में सिंदूर लगाते हैं नजारा देखने में बहुत अदभुत और सुंदर लगता है
Durga Puja sindur khela
सिंदूर खेला खेलते हुए बहुत बड़ा जुलूस निकलता है रोड पुरा जाम हो जाता इस विसर्जन पूजा को लोग रोड के किनारे खड़े होकर मां का जयकारा लगाते हैं और अनेक मूर्तियों का दर्शन कर उन्हे प्रणाम करते है । विसर्जन करने के बाद लोग अपने रिश्तेदारों को विजयदास्मी की शुभकामनाएं देने जाते हैं ।
दुर्गा पूजा में किन 9 देवी की पूजा होती है
शैलपुत्री, स्कंदमाता, कात्यांनी, कालरात्रि, महागौरी, कुष्मांडा, चंद्रघंटा, ब्रह्मचरणी,सिद्दात्री।
दुर्गा मां के नो रूप
किन किन राज्यों में मनाया जाता है दुर्गा पूजा
पश्चिम बंगाल, असम, गुजरात, बिहार, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश
पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाने वाला त्यौहार दुर्गा पूजा है।